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महाकुंभ की तैयारी कैसी? अखाड़ों से CM योगी ने पूछा, अधिकारियों के हाथ-पांव फूले, रह गए हक्का-बक्का

महाकुंभनगर। कैसे हैं महराज जी, कोई दिक्कत तो नहीं है…, व्यवस्था ठीक है न। चिंता न करिए, जो बचा है वह चंद दिनों में पूरा हो जाएगा। ये आत्मीय संवाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण के संतों से किया। गुरुवार को महाकुंभ मेला क्षेत्र के निरीक्षण के दौरान वह सेक्टर 20 में अखाड़ा नगर गए।

मुख्यमंत्री ने बाहर से वहां की व्यवस्था देखी। उनका काफिला श्रीनिरंजनी, श्रीमहानिर्वाणी व बड़ा उदासीन अखाड़ा के सामने रुका। वहां संतों ने उनका स्वागत किया। खड़े-खड़े सबसे बात करके व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। संतों ने मुख्यमंत्री से व्यवस्था को लेकर संतोष जताया।

मुख्यमंत्री को दिया अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन

पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गा दास, मुखिया महंत अवधेशानंद, श्रीमहंत धर्मेंद्र दास, श्रीमहंत दामोदर शरण दास, महामंडलेश्वर कपिलमुनि आदि ने मुख्यमंत्री को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया।

ज्ञापन के जरिए मुख्यमंत्री से गंगा, गीता, रामायण व श्रीरामचरितमानस को ज्ञान-विज्ञान का केंद्र बताते हुए इसे विश्व धरोहर घोषित कराने की दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की। कहा कि इससे दुनियाभर के लोग इन पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करके अपना जीवन सुधार सकेंगे। संगम व गाय को विश्व धरोहर घोषित करने की मांग की।

कहा कि तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर महाकुंभ का मेला लगता है। जो धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष का पर्याय है। दुनियाभर के लोग पुण्य प्राप्ति के लिए संगम तीरे आते हैं। ऐसे में संगम को विश्व धरोहर बनाकर उचित व्यवस्था करनी चाहिए। इसी प्रकार गऊ मां की सुरक्षा के लिए सार्थक कदम उठाना चाहिए।

अखाड़ों के आश्रमों में हो स्थायी निर्माण 

महंत दुर्गा दास ने बताया कि मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में समस्त अखाड़ों के आश्रमों में स्थायी निर्माण करवाने की मांग की गई है। कहा कि 13 अखाड़ों के संत सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में जीवन खपा रहे हैं। सरकार को उनकी मदद के लिए कदम उठाना चाहिए। हर अखाड़े के आश्रम में स्थायी निर्माण होने से संतों के रुकने में सहूलियत मिलेगी।

प्रमुख संतों को दी जाए सुरक्षा 

संतों ने मुख्यमंत्री से अखाड़ों के संतों को सुरक्षा देने की मांग की। कहा कि अखाड़ों के संत मतांतरण रोकने के साथ सनातन धर्म के विरोध में संचालित गतिविधियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते हैं। इससे प्रमुख संत धर्म विरोधी ताकतों के निशाने पर रहते हैं। संतों की रक्षा के लिए सरकार को सुरक्षा उपलब्ध कराना चाहिए।

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